Flax seeds alsee a miracle super food

अलसी चिकित्सकीय गुणों से भरपूर असली हीरा
"पहला सुख निरोगी काया, सदियों रहे यौवन की माया ।" आज हमारे वैज्ञानिकों व चिकित्सको ने अपने शोध से ऐसे आहार-विहार, आयुवर्धक औषधियों, वनस्पत्तियो आदि की खोज कर ली है जी जिनके नियमित सेवन से हमारी उम्र 200-250 वर्ष या ज्यादा बढ़ सकती है और यौवन भी बना रहेगा । यह कोरी कल्पना नहीं बल्कि यथार्थ है । ऐसा ही एक दिव्य आयुवर्धक भोजन है 'असली जिसकी आज हम चर्चा करेंगे ।
पिछले कुछ समय से अलसी के बारे में पत्रिकाओं, अखबारों, इंटरनेट, टीवी आदि पर बहुत कुछ प्रकाशित होता रहा है । बड़े शहरों में अलसी के व्यंजन जैसे बिस्किट, ब्रेड आदि बेचे जा रहे है । विश्व स्वाथ्य संगठन (W.H.O) अलसी को सुपर स्टार फूड का दर्जा देते है । आठवी शताब्दी में फ्रांस के सम्राट चार्ल मेगने अलसी के चमत्कारी गुणों से बहुत प्रभावित थे और चाहते थे कि उनकी प्रजा नियमित अलसी खाए और निरोगी व दिघार्यु रहे, इसलिए उन्होंने बड़े कानून बना दिए थे ।
अलसी पोषक तत्वों का खजाना
•कैलोरी 534 प्रति 100 ग्राम
•प्रोटीन 18.29 प्रतिशत
•कार्बोहाइड्रेट 28.88 प्रतिशत
•वसा 42.16 प्रतिशत
•ओमेगा-3 एल्फा -
-लिनोलेनिक एसिड 18.1 प्रतिशत
•ओमेगा -6 लिनोलेनि-
-क एसिड 7.7 प्रतिशत
•सैचुरेटेड फैट 4.3 प्रतिशत
•फाइबर 27.3 प्रतिशत
•विटामिन थायमिन,विटामिन B5, B6 , B12, फालेटे, नायसिन, राईबोफलेविन, विटामिन B17 और विटामिन C
•खनिज कैल्शियम, तांबा,लोहा, मैग्नीशियम, मैग्नीज, फ्रास्फोरर्स, पोटेशियम, सेलेनियम और जिंक
•एंटीऑक्सीडेंट लिगनेन, लाइकोपीन, ल्लूटिन और जियाजेथिन
अलसी को बोटेनिकल नाम लिनम युजीटैटीसिम्मम यानी अति उपयोगी बीज है । अलसी के पौधे में नीले फूल आते है । हमारी दादी मां जब हमें फोड़ा -फुंसी हो जाता है तो अलसी में मुख्य की पुल्टिस बनाकर बंध देती थी । अलसी में मुख्य पोष्टिक तत्व ओमेगा -3 फैटी एसिड एल्फा -लिनोलानिक एसिड , लिगनेन,प्रोटीन व फाइबर होते है । अलसी गर्भावस्था से वृद्धावस्था तक फायदेमंद है । महात्मा गांधी जी ने स्वास्थ्य पर भी शोध की व बहुत सी पुस्तके लिखी है । उन्होंने अलसी पर भी शोध किया ,इसके चमत्कारी गुणों को पहचाना और अपनी एक पुस्तक में लिखा है ,"जहां अलसी का सेवन किया जायेगा, वह समाज स्वस्थ व समृद्ध रहेगा ।
अलसी से लगभग 18-20 प्रतिशत ओमेगा-3 फैटी एसिड ALA होते है । अलसी ओमेगा -3 फैटी एसिड का पृथ्वी पर सबसे बड़ा स्तोत्र है । हमारे स्वास्थ्य पर अलसी के चमत्कारी प्रभावों को भली - भांति समझने के लिए हमे ओमेगा -3 व ओमेगा-6 फैटी एसिड को विस्तार से समझना हो। ये हमारे शरीर के विभिन्न अंगों, विशेषतोर पर मस्तिष्क ,स्नायुतंत्र व आंखों के विकास व उनके सुचारू रूप से संचालन में महत्वपूर्ण योगदान करते है और कोशिकाओं की भित्तीयो का निर्माण करते है ।
लिगनेन है सुपरमैन
लिगनेन अत्यंत महत्वपूर्ण सात सितारा पोषक तत्व है ,जिसका पृथ्वी पर सबसे बड़ा स्तोत्र अलसी है । लिगनेन दो प्रकार के होते है -1. वानस्पतिक लिगनेन (SDG) और
2.स्तनधारियों में पाए जाने वाले को आइसोलीरीसिरेजिनोल लिगनेन सी (SECO),. एंट्रोडियल (ED) और एंट्रोलेक्टोंन (EL) कहते है। जब हम वानस्पतिक लिगनेन (SDG) सेवन करते है तो अंतो में विद्यमान कीटाणु इसको स्तनधारी लिगनेन क्रमशः ED और EL में परिवर्तित कर देते है । SDG लिगनेन विटामिन -E से लगभग पांच गुना ज्यादा शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है। लिगनेन कोलेस्ट्रॉल कम करता है और ब्लड शुगर नियंत्रित रखता है ।लिगनेन, एंटीबैक्टीरियल ,एंटीवायरल , एंटीफंगल, और कैंसर रोधी है और इम्यूनिटी बढ़ता है । चिड्रेन्स हॉस्पिटल मेडिकल सेंटर सिनासिनाटी के चिकित्सक डॉ ० केनेथ शेसेल ई. एच. डी. ने पहली बार यह पता लगाया था कि लिगनेन का सबसे बड़ा स्तोत्र अलसी है ।
लिगनेन वनस्पति जगत में पाये जाने वाला महत्वपूर्ण पौषक तत्व है जो स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजन का वानस्पतिक प्रतिरूप है और नारी जीवन की विभिन्न अवस्थाओं जैसे रजस्वला, गर्भावस्था,प्रसव,मातृत्व और रजोनिवृति में विभिन्न हार्मोन्स का समुचित संतुलन रखता है । लिगनेन स्टलिटी और हेबीचुअल एबॉर्शन का प्राकृतिक उपचार है । लिगनेन धुगध्वर्धक है । यदि मां अलसी का सेवन करती है तो उसके दूध में पर्याप्त ओमेगा -3 रहता है और बच्चा अधिक बुद्धिमान व स्वस्थ पैदा होता है ।कई महिलाएं अक्सर प्रसव के बाद मोटापे का शिकार बन जाती है ,पर लिगनेन ऐसा नहीं होने देते । रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन का बनना काम होजने के कारण महिलाओं में हॉट फ्लेशेज, ओस्टियोपोरोसिस, ड्राई वेजाइना जैसी कई परेशानियां होती है ,जिनमे यह बहुत राहत देता है ।
यदि शरीर में प्राकृतिक एस्ट्रोजन का स्राव अधिक हो, जैसे स्तन कैंसर, तो यह कोशिकाओं के एस्ट्रोजन रिसेप्टर्स से चिपककर एस्ट्रोजन के प्रभाव को कम करता है और स्तन कैंसर से बचाव करता है । लिगनेन पर अमेरिका की राष्ट्रीय कैंसर संस्थान भी शोध कर रही है और इस नतीजे पर पहुंची है लिगनेन कैंसररोधी है । लिगनेन हमे प्रोस्टेट,बच्चेदानी ,स्तन , आंत,त्वचा आदि के कैंसर से बचाता है।
एड्स रिसर्च एसिस्टेंस इंस्टीट्यूट (ARAI) सन् 2002 से एड्स के रोगियों पर लिगनेन के प्रभावों पर शोध कर रही है और आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए है । ARAI के निर्देशक डॉ ० डेनियल देव्ज कहते है कि लिगनेन एड्स का सस्ता,सरल और कारगर उपचार साबित हो चुका है ।
हृदयरोग में अलसी के लाभ :
अलसी हमारे रक्तचाप को संतुलित रखती है । अलसी हमारे रक्त में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL-cholesterol) की मात्रा को बढ़ाती है और ट्राइंगलीसराइड्स व खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL-Cholesterol) की मात्रा को कम करती है । अलसी रक्त को पतला बनाए रखती है और दिल की धमनियों को स्वीपर की तरह साफ करती है। इस तरह अलसी दिल की धामियो में खून के थक्के बनने से रोकती है और हृदयाघात व स्ट्रोक जैसे बीमारियों से बचाव करती है । यानि असली अटैक के कारणों पर अटैक करती है । अलसी सेवन करने वालों को दिल की बीमारियों के कारण अकस्मात मृत्यु का खतरा नहीं होता।
डायबिटीज़ और मोटापे पर अलसी का चमत्कार :
अलसी ब्लड शुगर नियंत्रित रखती है और डायबिटीज़ के शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों को कम करती है । चिकित्सक डायबिटीज के रोगी को कम शर्करा और ज्यादा फाइबर लेने की सलाह देते है । अलसी में फाइबर की मात्रा अधिक होती है । इस कारण अलसी सेवन से लंबे समय तक पेट भरा हुआ रहता है, देर तक भूख नहीं लगती। डायबिटीज़ के रोगियों के लिए अलसी एक आदर्श और अमृत तुल्य भोजन है, क्योंकि यह जोरो कार्ब भोजन है। चौंकिएगा नही, यह सत्य है। मैं आपको समझाता हू कैसे – 14 ग्राम अलसी में 2.56 ग्राम प्रोटीन ,5.90 ग्राम फैट,0.97 ग्राम पानी और 0.53 ग्राम राख होती है। 14 में से उपरोक्त सभी के जोड़ को घटाने पर जो शेष( 14–{0.972.565.900.53 ग्राम}=4.04)=4.04 ग्राम बचेगा वह कार्बोहाइड्रेट की मात्रा हुई। विदित रहे कि फाइबर कार्बोहाइड्रेट की श्रेणी में ही आते है । इस 4.04 कार्बोहाइड्रेट में 3.80 ग्राम फाइबर होता है जो न रक्त में अवशोषित होता है और न ही रक्तशर्करा को प्रभावित करता है । अतः 14 ग्राम अलसी में कार्बोहाइड्रेट की व्यवहारिक मात्रा तो 4.04-3.80=0.24 ग्राम ही हुई,जो 14 ग्राम के सामने नगण्य मात्रा है इसलिए आहार शास्त्री अलसी को जीरो कार्ब भोजन मानते है।
•कब्जनाशक अलसी
अलसी में 27 प्रतिशत घुलनशील (म्यूसिलेज) और अघुलनशील दोनो ही तरह के फाइबर होते है, अतः अलसी कब्ज, पाइल्स, बवासीर, फिश्चुला, डाईवर्टीकुलाइटीस, अल्सरेटिव कोलाइटिस और आई०बी०एस० के रोगियों को बहुत राहत देती है। कब्ज़ में अलसी के सेवन से पहले ही दिन से राहत मिल जाती है । हाल ही मे हुए शोध से पता चला है कि कब्ज के लिए यह अलसी ईसबगोल की भूस्सी से भी ज्यादा लाभदायक है । अलसी पित्त की थैली में पथरी नहीं बनने देती और यदि पथरियां बन भी चुकी है तो छोटी पथरियां थो घुलने लगती हैं।
•अलसी की माया से सुंदर बने काया:
यदि आप त्वचा, नाखून और बालो की सभी समस्याओं का एक शब्द में समाधान चाहते हैं तो मेरा उत्तर है 'ओमेगा -3'। मानव त्वचा को सबसे ज्यादा नुकसान फ्री रेडिकल्स से होता है। हवा में मौजूद फ्री रेडिकल्स या ऑक्सीडेंट्स त्वचा की कोलेजन कोशिकाओं से इलेक्ट्रॉन चुरा लेते है। परिणामस्वरूप त्वचा में महीन रेखाएं बन जाती हैं जो धीरे -धीरे झुर्रियो व झाइयों का रूप ले लेती है, त्वचा में रूखापन आजता है और त्वचा वृद्ध सी लगने लगती है । अलसी के शक्तिशाली एंटी - ऑक्सीडेंट ओमेगा -3 व लिगनेन त्वचा को आकर्षक,कोमल,नरम,बेदाग व गोरा बनाते है । स्वस्थ त्वचा जड़ों को भरपूर पोषण देकर बालो को स्वस्थ, चमकदार व मजबूत बनाती है।
अलसी एक उत्कृष्ट भोज्य सौंदर्य प्रसाधन है जो त्वचा में अंदर से निखर लता है । अलसी त्वचा की बीमारियों जैसे मुहासें, एग्जिमा, दाद, खाज, सुखी, त्वचा,खुजली, सोरायसिस, ल्युपस,बालो का सूखा व पतला होना,बाल झड़ना आदि में काफी असरकारक है। अलसी सेवन करने वाली स्त्रियों के बालो में न कभी रूसी होती है न ही वे झड़ते है । अलसी नाखूनों को स्वस्थ व सुंदर आकार प्रधान करती है । अलसी युक्त भोजन खाने व इसकी तेल की मालिश से त्वचा के दाग, धब्बे, झाइयां व झुर्रियां दूर होती है। अलसी आपको युवा बनाए रखती है । आप अपनी उम्र से काफी छोटे देखते है ।
•जोड़ की हर तकलीफ का तोड़ अलसी
अलसी आर्थरिटी, सियाटिका, ल्यूपस, ऑस्ट्रियोआर्थ्राइटिस आदि का उपचार है ।
अलसी इम्युनिटी को मजबूत बनाती है। अलसी में विद्यमान ओमेगा -3 फैटी एसिड और लिगनेन प्रदाहरोधी है तथा अलसी दर्द और जकड़न में राहत देती है । अलसी का तेल भी दही , चीज या पनीर में मिलकर लिया जा सकता है ।
• अलसी -माइंड के सर्किट का SIM CARD
सुपरस्टार अलसी एक फीलगुड फूड है ,क्योंकि अलसी खाने से मन प्रसन्न रहता है, झुंझलाहट या क्रोध नहीं आता है पॉजिटिव एटिट्यूड बना रहता है और पति -पत्नी झगड़ना छोड़कर गार्डन में ड्यूएट गाते नजर आते है। अलसी आपके तन,मन और आत्मा को शांत और सौम्य कर देती हैं। अलसी के सेवन से मनुष्य लालच, ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार छोड़ देते है । इच्छाशक्ति धैर्य, विवेकशीलता बढ़ने लगती है, पूर्वाभास, जैसी शक्तियां विकसित होने लगती है । इसलिए अलसी देवताओं का प्रिय भोजन थी। यह एक प्राकृतिक वातानुकूलित भोजन है ।
अलसी माइंड के सर्किट का SIM CARD है । यहाँ S का मतलब सेरीन या शांति,I का मतलब इमेजिनेशन या कल्पनाशीलता और M का मतलब मेमोरी तथा C का मतलब कंसंट्रेशन या क्रिएटिविटी,A का मतलब अलर्टनेट,R का मतलब रीडिंग या राइटिंग,थिंकिंग एबिलिटी और D का मतलब डिवाइन से है । अलसी खाने वाले विद्यार्थी परीक्षाओं में अच्छे नंबर प्राप्त करते है और उनकी सफलता के सारे द्वार खुल जाते है। अलसी आपराधिक प्रवृत्ति से ध्यान हटाकर अच्छे कार्यों में लगाती है ।
•डॉक बुडविग का कैंसर उपचार
1931 में डॉक ओटो बारबर्ग ने सिद्ध किया कि कैंसर का मुख्य कारण कोशिकाओं से ऑक्सीजन की कमी हो जाना है और यदि कोशिका को पर्याप्त ऑक्सीजन मिलती रहे तो कैंसर का अस्तित्व संभव नहीं है । इसके लिए उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था। बारबर्ग ने यह भी बताया कि दो तत्व ( पहला सल्फर युक्त प्रोटीन है जो कॉटेज चीज में मिलता है और दूसरा कुछ अज्ञात फैटी एसिड्स है जिन्हे कोई नही पहचान पा रहा था) ऑक्सीजन को कोशिका में पहुंचाने का काम करते है ।
डॉक जोहाना बुडविग जर्मनी की विश्व विख्यात कैंसर वैज्ञानिक थी । उन्होंने 1949 में एक पेपर -क्रोमैटोग्राफी तकनीक विकसित की,जिससे उन अज्ञात फैटी एसिड्स को पहचान लिया गया । वह फैट्स ऊर्जावान इलेक्ट्रॉन्स के क्लाउड्स से भरपूर अल्फा -लिनोलेनिक एसिड(ओमेगा -3 परिवार का मुखिया)और लिनोलिक एसिड (ओमेगा -6 परिवार का मुखिया) कहलाए गए। ये फैट्स हमारे शरीर में नही बनते है और इन्हें असेशियल फैटी एसिड्स कोशिकाओं में ऑक्सीजन को आकर्षित करने की अपार क्षमता रखते है । जैसे ही ऑक्सीजन कोशिका में पहुंचने लगती है कैंसर हील होने लगता है ।
जब बुडविग ने उन दोनो तत्वों को पहचान लिया जो ऑक्सीजन को कोशिका में पहुंचते है, तो उन्होंने सोचा कि अब मैं कैंसर को ठीक कर सकती हूं । बस फिर क्या था कैंसर के 640 मरीजों को अलसी का तेल और कॉटेज चीज देना शुरू किया गया । तीन महीने बाद जैसे चमत्कार हो गया,मरीजों की गांठे छोटी हो गई ,हिमोग्लोबिन बढ़ गया और उनका एनर्जी लेवल भी बढ़ गया । इस तरह उत्साहित बुडविग ने कैंसर का एक नेचुरल क्योर विकसित किया ,जिससे उन्हें हर तरह के कैंसर में, हर स्टेज के कैंसर में 90 प्रतिशत प्रामाणिक सफलता प्राप्त हुई।
यह एक रॉ ऑर्गेनिक डाइट है। इसमें चीनी ,घी, मक्खन,नॉनवेज और बाजार में उपलब्ध ट्रांस फैट्स से भरपूर सभी वनस्पति और रिफाइंड तेलों से परहेज रखा जाता है । यह क्रूर,कुटिल, कपटी,कठिन,कर्करोग का सस्ता,सरल,सुलभ,संपूर्ण और सुरक्षित समाधान माना गया है । इसके उपचार से वे रोगी भी ठीक हो जाते थे जिन्हें अस्पताल में यह कहकर डिस्चार्ज कर दिया जाता था कि अब कोई इलाज संभव नही ,सिर्फ दुआ ही काम आयेगी । डॉक जोहाना का नाम नोबेल पुरस्कार के लिए 7 बार चयनित हुआ पर उन्होंने अस्वीकार कर दिया क्योंकि उनके सामने शर्त रखी जाती थी कि वह कीमो और रेडियोथेरेपी को अपने उपचार में शामिल करे जो उन्हें मंजूर नहीं था ।
•बॉडी बिल्डिंग के लिए "बेस्ट"
अलसी बॉडी बिल्डर्स के लिए आवश्यक व संपूर्ण आहार है । अलसी में 20 प्रतिशत बहुत अच्छे प्रोटीन होते है । प्रोटीन से मांसपेशियों का विकास होता है । अल्फा -लेनोलेनिक एसिड स्नायु कोशिका में इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ाते है, स्टेरॉयड हार्मोन का स्राव बढ़ाते है,स्वस्थ कोष्ठ भित्तियो का निर्माण करते है,प्रतिरक्षा प्रणाली नियंत्रित करते है,हार्मोन्स को अपने लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करते है, बी. एम. आर.बढ़ाते है,कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाते है,रक्त में फैट को गतिशील रखते है, नाड़ी और स्वायत्त नाड़ी तंत्र को नियंत्रित करते है, नाड़ी -संदेश प्रसारण का नियंत्रण करते है और हृदय की पेशियों को सीधी ऊर्जा देते है । कसरत के बाद मांसपेशियों की थकावट चुटकियों में ठीक हो जती है। बॉडी बिल्डिंग पत्रिका मसल मीडिया 2000 में प्रकाशित ओलेक "बेस्ट ऑफ़ द बेस्ट" में अलसी को बॉडी के लिए सुपर फूड माना गया है । मि ० डेकेन ने अपने आलेख 'ऑस्कर द गुरु ' में अलसी को नंबर वन बॉडी बिल्डिंग फूड का खिताब दिया । हॉलीवुड की विख्यात अभिनेत्री हिलेरी स्वांक ने "मिलियन डॉलर बेबी" फिल्म के लिए मांसल देह बनाने हेतु अलसी के तेल का सेवन किया,तभी उस फिल्म ने चार ऑस्कर जीते । अलसी हमारे शरीर को भरपूर ताकत प्रदान करती है,शरीर में नई ऊर्जा का प्रवाह करती है तथा स्टेमिना बढ़ाती है ।
अन्य रोग
अलसी हमारे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है । ओमेगा-3 से भरपूर अलसी लीवर ,गुर्दे,एड्रिनल, थायराईड आदि ग्रंथियों को ठीक से काम करने में सहायता देती है। अलसी ल्युपस नेफ्राइटिस और अस्थमा में राहत देती है । ओमेगा -3 से हमारी नजर अच्छी हो जाती है,रंग ज्यादा स्पष्ट व उजले दिखाई देने लगते है ।
सेवन का तरीका
हमे प्रतिदिन 30-50 ग्राम अलसी का सेवन करना चाहिए ।
अलसी को कभी रोस्ट नही करे, हाँ इसे पकाया या बेक किया जा सकता है । अलसी को रोज मिक्सी में पीसकर, आटे में मिलाकर रोटी , परांठा आदि बनाकर खाएं। आप अलसी को पीसकर अम्मून सात दिन तक रख सकते है । इसके ब्रेड ,केक ,कुकीज , आइसक्रीम, लड्डू आदि स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते है । इसे आप सब्जी,दही,सलाद आदि में भी डालकर ले सकते है । अलसी के नियमित सेवन से व्यक्ति के जीवन में चमत्कारी कायाकल्प हो जाता है । याद रखे बाजार में उपलब्ध रोस्टेड अलसी कभी प्रयोग में नही ले । वे इसे लोहे के बड़े पात्र या कड़ाही मे बड़ी तेज आंच पर रोस्ट करते है,जिससे अलसी के सारे पोष्टिक तत्व जल जाते है।
-Saloni bhati
hyderabad 500012
10 Comment(s)
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