9 महीने इन बातों का रखें ध्यान गर्भावस्था होगी आसान

गर्भावस्था के नौ माह के दौरान कौन-कौन सी बातों का ध्यान आपके लिए फायदेमंद और उपयोगी हो सकता है, यह एक अहम जानकारी है। सेहत के साथ-साथ आपको अपनी त्वचा की सेहत का भी ध्यान रखना होगा।

आज हम आपको दे रहे हैं ऐसे टिप्स, जिन्हें अपनाने से गर्भावस्था के दौरान आप अपनी त्वचा व स्वास्थ्य के प्रति चिन्तामुक्त हो जाएँगी:

* खूब पानी पिएँ : यह आपके और आने वाले बच्चे, दोनों के लिए बहुत जरूरी है। इसीलिए कम से कम 2 लीटर पानी रोज पिएँ। इसमें स्ट्रेच मार्क्स और कब्ज दूर होगी और त्वचा में भी निखार आएगा।

* हरी सब्जियाँ खाएँ : खूब सारी हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाएँ। मीट और जंक फूड से परहेज करें। थोड़े-थोड़े अंतराल पर खाएँ। एक साथ ज्यादा खाना न खाएँ। इससे आपको बेचैनी नहीं होगी और कब्ज की वजह से होने वाली जलन भी कम होगी। सब्जियों का सूप अधिक पिएँ, ये पचने में आसान होते हैं। भोजन में हरा सलाद जरूर शामिल करें। 

*व्यायाम अवश्य करें- गर्भावस्था में व्यायाम बहुत आवश्यक होता है। इस समय में रक्तचाप को नियंत्रित करना बेहद जरूरी होता है, जिसे आप नियमित तौर पर वॉक करके काबू में रख सकती हैं। आप एक्सरसाइज बाइक को घर में रख सकती हैं। टीवी देखते हुए इस पर कुछ देर व्यायाम करेंगी तो वह बच्चे के लिए भी अच्छा रहेगा।

* बॉडी स्टीम- बॉडी को स्टीम दें। इससे आप रिलैक्स महसूस करेंगी, साथ ही तनाव भी  कम होगा। बेहतर है कि आप गुलाब को गरम पानी में डालें। इससे स्टीम बाँध लें। इससे त्वचा में चमक और उसमें कसाव आएगा।

* स्ट्रेच मार्क्स पर ध्यान न दें- जैसे-जैसे पेट का आकार बढ़ता है, उस पर स्ट्रेच लाईस आती ही है। इस बात को स्वीकार करें और इन लाइंस पर अधिक ध्यान न दें। संपूर्ण आहार और विटामिन 'ई' युक्त मॉइस्चराइजिंग लोशन या तेल लगाकर आप इन्हें कम कर सकती हैं। प्रतिदिन स्नान के बाद इस लोशन को लगाएँ क्योंकि इस समय त्वचा तेजी से नमी सोख सकती है। आप मार्क्स को कोकोआ बटर से भी दूर कर सकती हैं। ताजा कोकोआ बटर को सीधेतौर पर स्ट्रेच मार्क्स पर लगाया जा सकता है।

* त्वचा का खास ख्याल रखें- नौ महीनों के दौरान त्वचा और बालों का विशेष ख्याल रखें एक चम्मच दही व बादाम तेल की कुछ बूंदों को मिलाएँ। इसमें थोड़ा गुलाबजल डालें। इसे त्वचा पर मलें, कुछ देर सूखने के बाद धो दें। इससे त्वचा कोमल होती है। इसके अलावा 4 चम्मच क्रीम 1-1 चम्मच बादाम तेल, खीरे का रस, शहद, गुलाबजल व नींबू का रस मिला लें। इसे छोटे से डिब्बे में रखकर फ्रिज में रख दें। इसे हर रात लगाएँ और सुबह धो दें। इससे त्वचा में चमक बढ़ेगी।

* सनस्क्रीन का प्रयोग- गर्भावस्था के दौरान त्वचा का काला पड़ना एक आम समस्या है। चेहरे की रंगत फीकी पड़ सकती है, साथ ही पेट के आसपास के हिस्से में भी कालापन बढ़ने लगता है। यह मुख्य रूप से शरीर में मेलानिन। पिग्मेंट के बढ़ने के कारण होता है। इस पर नियंत्रण रखने के लिए आप सन्स्क्रीन लोशन और स्क्रब लगा सकती है।

            •• गर्भावस्था में उचित देखभाल

             मातृत्व एक स्त्री को संपूर्णता प्रदान करता है। यह नारी के लिए जीवन का सबसे बड़ा सुख है, लेकिन इस दौरान उसे अनेक प्रकार की शारीरिक पीड़ाओं से गुजरना पड़ता है। इसके अलावा गर्भावस्था के कारण सामान्यतः महिलाएँ अपना सौंदर्य, आकर्षण खो बैठती हैं। अगर प्रोष्मऋतु में गर्भावस्था के दौर से गुजरना पड़े तो मुश्किल और भी बढ़ जाती है। कुछ उपाय ऐसे हैं, जो इस समर प्रेग्नेंसी में भी महिलाओं को स्वस्थ रखते हैं और उनके सौंदर्य को भी बरकरार रखते हैं।

                   •• पौष्टिक खान-पान

* जैसा कि पहले भी कहा है खूब पानी पिएँ। फूट जूस और फल भी खाने चाहिए।

* ठंडा दूध पीना चाहिए, क्योंकि यह एसिडिटी की समस्या से निजात दिलाता है। दूध में प्रचुर मात्रा में कैल्शियम होता है, जिससे हड्डियाँ मजबूत रहती हैं।

* मसालेदार भोजन से दूर रहें। सलाद और अंकुरित दालों का सेवन करना चाहिए।

* कब्ज से बचने के लिए अंजीर और आलूबुखारे खाने चाहिए। 

* दिन में दो कप दूध, हरी पत्तेदार सब्जियों, एक या दो अंडे, दो मल्टीविटामिन टैबलेट एवं कैल्शियम और कांड लीवर टैबलेट लेनी चाहिए।

 * गर्भावस्था के दौरान आयरन की कमी से एनीमिया होना आम बात है। अधिक फाइबर वाले भोजन, हरी पत्तेदार सब्जियाँ खाएँ। 

* अपने और अपने बच्चे के लिए कैल्शियम की जरूरी मात्रा हासिल करने के लिए कैल्शियम से युक्त सोया दूध लें। 

* अपने आहार चार्ट में बादाम, बीन्स, पालक, मटर, दलिया और कम वसा वाले दुग्ध उत्पाद शामिल करें। कैंडी, सॉफ्ट ड्रिंक, चिप्स आदि से परहेज करें। 

* कच्चे अंकुरित अनाज, कच्चे अंडे और मछली, कच्चे माँस से भी परहेज करें।

* विटामिन डी जरूरी है, क्योंकि यह कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है। हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए दूध, चावल और अंडे की जर्दी लें।

* ओमेगा 3 फैटी एसिड भी स्वस्थ गर्भावस्था के लिए बेहद जरूरी है। इससे बच्चे के दिमाग, आँखों और तंत्रिका तंत्र को विकसित करने में मदद मिलती है। हल्की मात्रा में नमक लेना भी जरूरी है। ताजा मौसमी फल खाएँ।

* इनके अलावा गर्भवती महिलाओं को प्रसव-पूर्व विटामिन-मिनरल आहार भी लेना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके आहार में उनके स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा सुझाए गए फोलिक एसिड, कैल्शियम आदि शामिल हो। भोजन के  संदर्भ में स्वच्छता बरतें ताकि साल्मोनेला और लिस्टीरिया जैसे संक्रमण से आप और आपका बच्चा बचा रहे। 

                 ••  स्वच्छता और हाईजीन

* दिन में दो बार नहाएँ और नहाने के पानी में यूडी क्लोन की कुछ बूँदें डालनी चाहिए।

 * एक स्प्रे बोतल में गुलाबजल भरें और उसे चेहरे पर छिड़कें। इससे आपको ताजगी महसूस होगी। इस सोल्यूशन को रैफ्रिजरेटर में रखना चाहिए।

* मैनीक्योर और पैडीक्योर कराते रहना चाहिए।

                   ••दाँतों की देखभाल


* खाने के बाद कुल्ला करना चाहिए।

 * दिन में दो बार दाँतों को ब्रश करें। ब्रश करते वक्त उँगलियों से मसूढ़ों की मालिश करनी चाहिए।

 * मुँह में माउथ फ्रेशनर जैसे इलायची रखनी चाहिए, ताकि मुँह से बदबू न आए ।

          ••  गर्भावस्था से जुड़ी कुछ भ्रांतियाँ व सत्यता

* क्या पपीता नहीं खाएँ- गर्भावस्था के दौरान कम मात्रा में पपीता खा सकती हैं।

*सप्लीमेंट नहीं- यदि डॉक्टर आपसे आपके शरीर में विशेष जरूरतों को पूरा किए जाने के लिए स्पेशल सप्लीमेंट की सलाह दें तो इसे नियमित रूप से लें।

*सुबह में सुस्ती- नहीं, ऐसा सभी के मामलों में नहीं है। यह समस्या हर स्त्री में अलग-अलग देखी जाती है इसके लिए आयरन युक्त भोजन लें।

*शिशु के नीचे आने का मतलब लड़का- यह सही नहीं है। इसके लिए कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है। इसका सिर्फ यह मतलब हो सकता है कि जब आपका डिलीवरी समय नजदीक हो तो बच्चा पेडू में आ जाता है।

*व्यायाम बंद नहीं करें- यह शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए जरूरी है। आप जो भी कार्य करें, सतर्कता से करें। खुद को किसी प्रकार के चोट से बचाकर रखना बेहद जरूरी है।। गर्भावस्था के दौरान जो भी हल्के-फुल्के व्यायाम या योगासन करें, डॉक्टर की सलाह से ही करें।